8.6 महिलाएँ भी विकास में शामिल हों
वंदना
बी बी सी संवाददाता
किरण मजूमदार शॉ- एक ऐसी शख्सियत हैं जिसने बिज़नेस की दुनिया में अपना अलग मकाम बनाया है. डॉक्टर किरण मजूमदार शॉ बायोकॉंन कंपनी की अध्यक्ष और प्रबंध निदेशक हैं. जब उन्होंने भारत की पहली बायोतकनीक कंपनी शुरू की थी, तो कई लोग एक महिला प्रमुख के अधीन काम करने को तैयार नहीं थे. आज वे भारत की सबसे अमीर महिलाओं में से एक हैं. 2004 में वे भारत की सबसे अमीर महिला घोषित की गई थीं. विज्ञान और इंजीनियरिंग के क्षेत्र में योगदान के लिए उन्हें 2005 में पद्मभूषण दिया गया.
पेश है उनसे बातचीत के मुख्य अंश
आप बायोकॉन जैसी नदी कंपनी की अध्यक्ष और प्रबंध निदेशक हैं. भारत की सबसे सफल महिला उद्यमियों में से एक, भारत की सबसे धनी महिलाओं में से एक…कई सारी उपलब्धियाँ हैं आपके नाम. कैसा लगता है शीर्ष पर पहुँचना, ख़ासकर एक महिला होने के नाते?
ईमानदारी से कहूँ तो बहुत अकेला महसूस करती हूँ. बिज़नेस की दुनिया में मेरे स्तर पर बहुत कम महिलाएँ हैं. मेरे जैसी, जो महिलाएँ यहाँ तक पहुँच पाई हैं उनके ऊपर बहुत बड़ी ज़िम्मेदारी है कि वे सुनिश्चित करें कि और महिलाओं को भी आगे आने का प्रोत्साहन मिले.
बायोकॉन की शुरूआत कैसे की आपने?
मैंने 1978 में शुरूआत की थी. काफी मुश्किलों का सामना करना पड़ा- मैं सिर्फ 25 साल की ही थी, महिला थी, बायोतकनीक के बारे में लोग ज़्यादा जानते नहीं थे. कंपनी के लिए पैसा जुटाना एक बड़ी चुनौती थी.
कई लोगों ने उस समय मुझे गंभीरता से नहीं लिया. लेकिन समय के साथ जब आप सफल हो जाते हैं, तो इन समस्याओं से उबर जाते हैं.
उस समय, 70-80 के दशक में क्या आपके सहकर्मियों के लिए ये स्वीकार कर पाना मुश्किल था कि उनकी बॉस एक महिला है?
बिल्कुल, शुरुआती दौर में तो बहुत ही कठिन था. उस समय अपनी कंपनी के लिए ऐसे लोग ढूँढना मुश्किल हो गया था जो एक महिला बॉस के साथ काम करना चाहते थे. लेकिन ये भी सच है कि ऐसे कुछ लोग मिल ही जाते हैं जिन्हें आप पर भरोसा होता है.
तब से लेकर अब तक क्या आपने कोई फ़र्क महसूस किया है समाज के रवैये में?
अब आप कहीं भी जाते हैं तो बड़ी संख्या में महिला कर्मचारी वहाँ होती हैं. चाहे बायोकॉम हो या फिर बीपीओ सेक्टर की कंपनियाँ या फिर मीडिया और मनोरंजन उद्योग – हर क्षेत्र में महिलाएँ दिख ही जाती हैं. सो ये अच्छी बात है. लेकिन इनमें से ज्यादातर कंपनी में मध्य स्तर के पदों पर काम करती हैं. मैं चाहती हूँ कि ये महिलाएँ उच्च पदों पर पहुँचे.
समाज में लिंगभेद एक अहम मुद्दा है. हाल ही में अमरीका की एक बड़ी रिटेल कंपनी पर 15 लाख महिला कर्मचारियों ने लिंगभेद का आरोप लगाया था. क्या कहेंगी आप?
ये बड़ी चौंकाने वाली बात है. हालांकि सब जगह तो ऐसा नहीं है पर अगर आप गौर से देखेंगे तो पता चलता है कई बार पद उन्नति, बोनस जैसी चीजों में महिलाओं को पूरा-पूरा फ़ायदा नहीं मिलता.
लिंगभेद तभी खत्म हो सकता है जब समाज महिलाओं को हर मायने में भागीदार बनाए. हमेशा भारत में ‘इन्क्लूज़िव विकास’ की बात होती है, ऐसा विकास जिसमें सबकी भागीदारी हो. मैं कहना चाहूँगी कि महिलाओं को भी ऐसे विकास का हिस्सा बनाना बेहद ज़रूरी है. समान विकास का मतलब सिर्फ पिछड़ी जातियों के लिए विकास नहीं है, इसमें महिलाएँ भी शामिल हैं. जब देश आर्थिक प्रगति करेगा और महिलाएँ उसमें अहम भूमिका निभाएँगी तो लिंगभेद खत्म होता जाएगा.
भारत में आज भी महिला उद्यमियों की संख्या बेहद कम है. ऐसी क्या वजहें हैं जो उन्हें रोके हुए हैं- प्रतिकूल सरकारी नीतियों, समाज की पुरुष प्रधान मानसिकता?
मैं इसके लिए नीतियों को ज़िम्मेदार नहीं ठहराती. मुझे लगता है कि नीतियाँ महिला उद्यमियों को बढ़ावा ही देती हैं. मेरी नज़र में समाज को अपना रवैया बदलना होगा. समाज का एक तबका आज भी ये स्वीकार नहीं करता है कि महिलाएँ काम करें, वे घर के बाहर जाकर प्रोफ़ेशनल चुनौतियों का सामना करें. यही सबसे बड़ी चुनौती है.
अच्छा एक बात बताइए. जब शुरू-शुरू में आपने अपनी कंपनी की अध्यक्ष के तौर पर विदेशों में जाना शुरू किया, तो एक भारतीय कंपनी की महिला प्रमुख को देखकर विदेशों में कैसी प्रतिक्रिया मिलती थी आपको?
शुरू में लोगों को उत्सुकता होती है, उन्हें हैरानी होती है लेकिन बाद में वे आपको बड़ी गंभीरता से लेते हैं. महिला होने के नाते मुझे विदेशों से ज़्यादा भारत में ज़्यादा मुश्किल हुई.
आपकी सफलता में आपके परिवार का कितनी योगदान रहा है?
मुझे जितनी भी सफलता मिली है, उसका श्रेय परिवार से मिले समर्थन को जाता है- पहले मेरे माता-पिता और अब मेरे पति. उन्होंने हमेशा मेरा हौसला बढ़ाया कि मैं अपनी प्रोफ़ेशनल ज़िन्दगी को पर्याप्त समय दूँ. इस समर्थन ने मेरी ज़िन्दगी में बहुत बड़ा रोल अदा किया है.
यानी हम कह सकते हैं कि एक सफल महिला के पीछे एक पुरुष का हाथ हो सकता है बजाय इसके कि हर सफल पुरुष के पीछे एक महिला का हाथ होता है.
हर सफल पुरुष या महिला की सफलता के पीछे एक दूसरे से मिलने वाले समर्थन का ही हाथ होता है. यही मूलमंत्र है.
काम-काज के अलावा किसी भी महिला को घर की ज़िम्मेदारियाँ भी संभालनी पड़ती हैं. आपका इतना हाई-प्रोफ़ाइल करियर है. आप कैसे अपनी पारिवारिक और काम-काज की ज़िम्मेदारियों को एक साथ संभालती हैं. क्या ये मुश्किल काम है?
मेरे पति और मैं सभी ज़िम्मेदारियों को बाँटते हैं और समय निकालते हैं. अगर आपके साथ ऐसे लोग हैं जो ज़िम्मेदारियों को बाँट सकते हैं तो कुछ भी मुश्किल नहीं है.
एक महिला से उम्मीद की जाती है कि वो घर के कामकाज में पुरुष से कहीं ज़्यादा काम करे. यही समस्या की जड़ है. किसी भी पति-पत्नी को घर की ज़िम्मेदारियाँ बराबर बाँटनी चाहिए. जब तक महिला से ज़्यादा काम की उम्मीद की जाती रहेगी, ये बहस भी चलती रहेगी कि घर और बाहरी कामकाज में संतुलन कैसे बिठाया जाए. ये सवाल तो पुरुषों से भी पूछा जाना चाहिए. पर कभी नहीं पूछा जता.
कई युवतियों के लिए आप रोल मॉडल की तरह हैं. ऐसी युवतियाँ जो बिज़नेस के क्षेत्र में या अन्य क्षेत्रों में आगे बढ़ना चाहती हैं, क्या कहना चाहेंगी उनसे आप.
मैं मानती हूँ कि महिलाएँ मज़बूत होती हैं. हम महिला को ख़ुद पर भरोसा होना चाहिए. तभी बाक़ी दुनिया भी हमें गंभीरता से लेगी.
Source: http://www.bbc.com/hindi/business/2009/08/090821_kiranshaw_va
Glossary
शख्सियत | n.f. | identity, personality |
दुनिया | n.f. | world |
मकाम | n.m. | position |
अध्यक्ष | n.m. | director |
प्रबंध | n.m. | management |
निदेशक | n.m. | director |
प्रमुख के नाते |
adj. | chief |
घोषित | adj. | announced |
अंश | n.m. | part |
उपलब्धि | n.f. | achievement |
शीर्ष | n.m. | top |
ईमानदारी | n.f. | honesty |
अकेला | adj. | single, sole, alone |
महसूस करती | v.t. | to feel |
ज़िम्मेदारी | n.f. | responsibility |
प्रोत्साहन | n.m. | encouragement |
जुटाना | v.t. | to collect |
गंभीरता | n.f. | seriousness |
सहकर्मी | n.m. | co-worker |
स्वीकार | n.m | acceptance |
ढूँढना | v.t. | to search |
फ़र्क | n.m. | difference |
रवैया | n.m. | behavior |
उद्योग | n.m. | industry |
लिंगभेद | n.m. | gender discrimination |
अहम | adj. | important |
मुद्दा | n.m. | issue |
चौंकाना | v.i. | to surprise |
उन्नति | adj. | development |
फ़ायदा | n.m. | profit |
भूमिका | n.f. | role |
प्रतिकूल | adj. | contrary, adverse |
मानसिकता | n.f. | mentality |
चुनौती | n.f. | challenge |
प्रतिक्रिया | n.f. | reaction |
उत्सुकता | n.f. | eagerness |
योगदान | n.m. | contribution |
श्रेय | n.m. | credit |
हौसला | n.m. | spirit, courage |
पर्याप्त | adj. | sufficient |
यानी | conj. | that is |
मूलमंत्र | adj. | sufficient |
उम्मीद | n.f. | hope, expectation |
संतुलन | adj. | balanced |
मज़बूत | adj. | strong |
ख़ुद | refl.pron. | self |
Key phrases
अलग मकाम बनाना | make a separate position | मेरे भाई ने समाज में अपना अलग मकाम बनाया है| My brother has made a separate position in the society. |
X के नाते | as a X | आपका अध्यापक होने के नाते, मेरा यह कर्तव्य है कि मैं आपको सही राह दिखाऊँ| As your teacher, it is my duty to show you the right path. |
X के स्तर पर | on the level of X | भारत में सरकार के स्तर पर बहुत घोटाले होते हैं| Many scams happen at the government level in India. |
X की शुरूआत | to start X | मेरी पढ़ाई की शुरुआत १९९० में हुई थी| My education started in 1990. |
X के पद पर | on the post of X | मेरे चाचा एक कंपनी में अध्यक्ष के पद पर हैं| My uncle is at the post of a director in a company. |
रोल अदा करना | to play a role | मेरे शिक्षक ने मेरी ज़िन्दगी में अहम रोल अदा किया है| My teacher has played an important role in my life. |
ख़ुद पर भरोसा करना | to depend on oneself | हमें हमेशा ख़ुद पर भरोसा करना चाहिए| We should also depend on our own selves. |
Exercises
6.1 True or False
Read the following sentences carefully. Based on the text, decide whether these sentences are true or false.
- डॉक्टर किरण मजूमदार शॉ बायोकॉंन कंपनी की अध्यक्ष और प्रबंध निदेशक हैं|
- आज वे भारत की सबसे गरीब महिलाओं में से एक हैं|
- विज्ञान और इंजीनियरिंग के क्षेत्र में योगदान के लिए डॉक्टर किरण मजूमदार शॉ को 2005 में पद्मभूषण दिया गया|
- डॉक्टर किरण मजूमदार शॉ ने 1978 में बायोकॉन की शुरूआत की थी|
- भारतीय समाज में लिंगभेद एक अहम मुद्दा नहीं है|
6.2 Choose the correct answer to the following questions based on the conversation.
- डॉक्टर किरण मजूमदार शॉ ने भारत की ________ बायोतकनीक कंपनी शुरू की थी|
- पहली
- दूसरी
- तीसरी
- चौथी
- __________ में डॉक्टर किरण मजूमदार शॉ भारत की सबसे अमीर महिला घोषित की
- 2001
- 2002
- 2003
- 2004
- जब डॉक्टर किरण मजूमदार शॉ ने 1978 में शुरूआत की थीं तब वह सिर्फ _______ साल की थीं|
- 20
- 25
- 30
- 35
- ज्यादातर कंपनी में महिलायें ___________ स्तर के पदों पर काम करती हैं|
- उच्च
- मध्य
- नीचे
- बीच
- लिंगभेद तभी खत्म हो सकता है जब समाज महिलाओं को हर मायने में ___________ बनाए|
- दोषी
- दोस्त
- भागीदार
- मूर्ख
6.3 Match each phrase in the left column with the most appropriate ones in the right column to make complete sentences.
लिंगभेद तभी खत्म हो सकता है | ऐसा विकास जिसमें सबकी भागीदारी हो| |
हमेशा भारत में ‘इन्क्लूज़िव विकास’ की बात होती है, | एक दूसरे से मिलने वाले समर्थन का ही हाथ होता है| |
समाज का एक तबका आज भी यह स्वीकार नहीं करता है | वह घर के कामकाज में पुरुष से कहीं ज़्यादा काम करे| |
हर सफल पुरुष या महिला की सफलता के पीछे | जब समाज महिलाओं को हर मायने में भागीदार बनाए| |
एक महिला से उम्मीद की जाती है कि | कि महिलाएँ काम करें| |
6.4 Question-Answer
Answer the following questions based on the text given above.
- डॉक्टर किरण मजूमदार शॉ को किस क्षेत्र में योगदान के लिए 2005 में पद्मभूषण दिया गया?
- एक महिला होने के नाते, डॉक्टर किरण मजूमदार शॉ को शीर्ष पर पहुँच कर कैसा लगता है?
- लिंगभेद कैसे खत्म हो सकता है?
- भारत में आज भी महिला उद्यमियों की संख्या बेहद कम क्यों है?
- ऐसी युवतियाँ जो बिज़नेस के क्षेत्र में या अन्य क्षेत्रों में आगे बढ़ना चाहती हैं, उनसे डॉक्टर किरण मजूमदार शॉ क्या कहना चाहती हैं?
6.5 Form one sentence with each list of words given below.
- लोग, ख़ुशी, ढूँढना
- मैं, सरकार, भरोसा करना
- आप, क्या, चाहना
- किसी को, फ़ायदा, मिलना
- समाज, लिंगभेद, खत्म होना
6.6 Word activities:
Word derivation: Following words are derived from related words in the text. Scan the text to find the related words and then form a sentence with each related word.
- अध्यक्षता
- प्रबंधन
- अमीरी
- स्तरीय
- मजबूती
6.7 Activities
- Please write in detail about a successful woman.
- What are the qualities a successful woman should have?